Tuesday, 13 March 2012

एहसास

उनका स्पर्श ,बिना कहे ही सब कुछ कह जाता
उनका रेखांकन ,बिना बोले ही समझ में आ जाता
उनका व्यवहार ,बिना पहचान अस्तित्व का बोध करा जाता
उनका चिंतन ,बिना मध्यस्थ परमात्मा से साक्षात्कार करा जाता
उनका वक्तव्य ,बिना प्रवचन सत्संग का एहसास करा जाता

 

अंतर्मन के भाव

मेरे लिखे चंद शब्दों को
लोग कविता कहने लगे
पर ये कोई कविता नहीं
अंतर्मन के अव्यक्त भाव हैं
जो मुझसे पहले भी थे
मेरे जाने के बाद भी रहेंगे
नश्वर काया जब तक मेरी है
शब्द भी मेरे हैं और भाव भी मेरे 

Wednesday, 7 March 2012

होली

जिंदगी अपनी है पर खुद ही अवगत नहीं
खुशियाँ दिलो दिमाग में है समाई दुःख की न लेशमात्र परछाई है
शाश्वत आकार को खुशियाँ खोजनी नहीं होती स्वतः मिलती हैं
प्रेम की पराकास्ठा में तल्लीन मन किसी वस्तु का मोहताज नहीं होता
प्यार की मदहोशी में मना लो होली रंग लो तन और मन वक्त किसी का गुलाम नहीं होता

Monday, 5 March 2012

दिल में बसा गए

तीव्र जलधार, बिजली की चमक और बारिस मुसलाधार थी
कानों में गूंजते मधुर रागिनी बने सप्त स्वरों की माला थी
स्वर अंतर्मन में समां गए आनंद की अतिरेक दर्शा गए
अनेको चित्र जो जतन से जुटाए थे उन्हें जीवंत बना गए
गुदगुदी होती है सोच कर उन पलों को जो रसपान करा गए
कैसे निकलूं यादों के चक्रव्यूह से जो तुम दिल में बसा गए