मेरे लिखे चंद शब्दों को
लोग कविता कहने लगे
पर ये कोई कविता नहीं
अंतर्मन के अव्यक्त भाव हैं
जो मुझसे पहले भी थे
मेरे जाने के बाद भी रहेंगे
नश्वर काया जब तक मेरी है
शब्द भी मेरे हैं और भाव भी मेरे
लोग कविता कहने लगे
पर ये कोई कविता नहीं
अंतर्मन के अव्यक्त भाव हैं
जो मुझसे पहले भी थे
मेरे जाने के बाद भी रहेंगे
नश्वर काया जब तक मेरी है
शब्द भी मेरे हैं और भाव भी मेरे
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