जिंदगी अपनी है पर खुद ही अवगत नहीं
खुशियाँ दिलो दिमाग में है समाई दुःख की न लेशमात्र परछाई है
शाश्वत आकार को खुशियाँ खोजनी नहीं होती स्वतः मिलती हैं
प्रेम की पराकास्ठा में तल्लीन मन किसी वस्तु का मोहताज नहीं होता
प्यार की मदहोशी में मना लो होली रंग लो तन और मन वक्त किसी का गुलाम नहीं होता
खुशियाँ दिलो दिमाग में है समाई दुःख की न लेशमात्र परछाई है
शाश्वत आकार को खुशियाँ खोजनी नहीं होती स्वतः मिलती हैं
प्रेम की पराकास्ठा में तल्लीन मन किसी वस्तु का मोहताज नहीं होता
प्यार की मदहोशी में मना लो होली रंग लो तन और मन वक्त किसी का गुलाम नहीं होता
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