Friday, 26 July 2013

पहला प्यार

गुलाब की बगिया का  झुरमुट था अच्छा
चमकता चटख लाल फूलों का गुच्छा
बगीचे में मखमल सी घास पे चलती
निगाहें टिकाती फिर पलकें झुकाती
दरियादिली से वो बाँहों में आती
गुच्छा बड़ी कसके आँचल में भरती
अहसास दिल में था चेहरे पे लाली
पहले प्यार की थी छटा ही निराली

Friday, 19 July 2013

दुःख सुख

दुःख आया हमें देख ठिठका
चला गया उलटे पांव
हमें मंजिल तक पहुँचाने
सुख के झूले झुलाने
वो छलता नहीं किसी को
सब समझ का धोखा है
दो छोर हैं जिन्दगी के
दुःख सुख तो उनका लेखा जोखा है 

पहचान




दर्पण देख आज सकते में आ गया
पहचाना खुद को तो अवाक् रह गया
अच्छाइयों बुराइयों का लेखा स्पष्ट था
सर्वत्र सब सुन्दर था द्रष्टि में ही दोष था
संस्कारों की पोटली को यूं ही लुटा दिया
संतुष्टि कहाँ खो गई पता भी नहीं किया
अपेक्षाओं की बेदी पर सर्वस्व हवन किया
प्रेम की देवी का चेहरा ही तोड़ दिया
दर्पण तो दर्पण है सच्चाई दिखा गया
जीवन के मूल्यों की पहचान करा गया


   

Wednesday, 17 July 2013

जीवन की नाव

कागज के जैसी हैजीवन की नाव 
डूबती उतराती है जीवन की नाव 
न सहारा न किनारा न मंजिल है पास 
घिरता है अँधेरा घटती हर साँस 
तेज हवा में मचलता है पाल 
उड़ा ले जाने को व्याकुल है काल 
तूफानी लहरों से टकराती है जांबाज 
पुकारती है प्रभु को बिना आवाज 
जगाती है दिल में आत्मविश्वास 
पार जाने की है अटूट आस 
बढ़ी जाती है अपनी ही धुन में 
करती हुई नर्तन अपने ही मन में 
डूबती उतराती जीवन की नाव 
कागज के जैसी वो जीवन की नाव 

सुनहरा अहसास

शायद आज मिली है मुझे अपनी पहचान
जिससे थी मैं अब तक पूरी तरह अन्जान
सिमटी और सिकुड़ी जिन्दगी को दे दिया हवा का रुख
कल्पनाओं का सागर उमड़ रहा है खोकर अपनी सुध
अपने ख्वाबों में ही छुपा रखा था जो हमने सब्जबाग
आज महसूस किया है दिल से वो सुनहरा अहसास
वो सुनहरा अहसास ,वो सुनहरा अहसास 

Friday, 12 July 2013

अच्छा लगता

अच्छा लगता शान्त सतह को
चीर चीर कर आगे बढना
कभी रात्रि में अच्छा लगता
घर से बाहर दौड़ लगाना
हैप्रफुल्ल मन अच्छा लगता
एक दूसरे को अपनाना
आँचल से वो हवा डुलाना
नैनो की मनुहार समझना
गीले गीले बाल सुखाना
अच्छा लगता है सहलाना
कैसे सीखा हमने ये सब
साथ निभाना प्यार लुटाना
अच्छा लगता शान्त सतह को
चीर चीर कर आगे बढना 

Wednesday, 10 July 2013

वो चले गए

कल रात मेरे सपने में वो, मिलते ही मुझसे यूँ बोले
तुम तो वैसी ही लगती हो जैसे छोड़ा बरसों पहले

मादक मुस्कान बिखेर रही, लब  पर मेरा ही नाम लिखे
नैनो में चंचलता बसती, पलकों पर बोझ हो  मेरा लिए

बलखाती नदिया के ही हैं, दो पाट बना डाले हमने
तुमने तो निभाया वादा है, सावन की बदली सी बनके

कल रात मेरे सपने में वो आये और मिलकर चले गए
वो चले गए,वो चले गए ,वो चले गए ,वो चले गए  

पूर्णता की प्राप्ति

बाहर तूफान बड़े वेग से चल रहा था
परन्तु मेरे अन्दर हवा का प्रवेश तक न था
कालिमा के कारागार में बंद हुई सासों से मुक्ति का अहसास
ईश्वरीय शक्ति को भूतल पर उतारने का साहसिक प्रयास
नियति ने तपती हुई वसुधा को क्षितिज से मिला दिया
गर्म वाक्य के धुंए से घुटकर मरने से अच्छा धधक कर जला दिया
पवित्र अग्नि में शरीर पञ्च तत्व में विलीन हो रहा था  
परम नीरवता में पूर्णता की प्राप्ति का संबल मिला था