गुलाब की बगिया का झुरमुट था अच्छा
चमकता चटख लाल फूलों का गुच्छा
बगीचे में मखमल सी घास पे चलती
निगाहें टिकाती फिर पलकें झुकाती
दरियादिली से वो बाँहों में आती
गुच्छा बड़ी कसके आँचल में भरती
अहसास दिल में था चेहरे पे लाली
पहले प्यार की थी छटा ही निराली
चमकता चटख लाल फूलों का गुच्छा
बगीचे में मखमल सी घास पे चलती
निगाहें टिकाती फिर पलकें झुकाती
दरियादिली से वो बाँहों में आती
गुच्छा बड़ी कसके आँचल में भरती
अहसास दिल में था चेहरे पे लाली
पहले प्यार की थी छटा ही निराली
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