शायद आज मिली है मुझे अपनी पहचान
जिससे थी मैं अब तक पूरी तरह अन्जान
सिमटी और सिकुड़ी जिन्दगी को दे दिया हवा का रुख
कल्पनाओं का सागर उमड़ रहा है खोकर अपनी सुध
अपने ख्वाबों में ही छुपा रखा था जो हमने सब्जबाग
आज महसूस किया है दिल से वो सुनहरा अहसास
वो सुनहरा अहसास ,वो सुनहरा अहसास
जिससे थी मैं अब तक पूरी तरह अन्जान
सिमटी और सिकुड़ी जिन्दगी को दे दिया हवा का रुख
कल्पनाओं का सागर उमड़ रहा है खोकर अपनी सुध
अपने ख्वाबों में ही छुपा रखा था जो हमने सब्जबाग
आज महसूस किया है दिल से वो सुनहरा अहसास
वो सुनहरा अहसास ,वो सुनहरा अहसास
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