कागज के जैसी हैजीवन की नाव
डूबती उतराती है जीवन की नाव
न सहारा न किनारा न मंजिल है पास
घिरता है अँधेरा घटती हर साँस
तेज हवा में मचलता है पाल
उड़ा ले जाने को व्याकुल है काल
तूफानी लहरों से टकराती है जांबाज
पुकारती है प्रभु को बिना आवाज
जगाती है दिल में आत्मविश्वास
पार जाने की है अटूट आस
बढ़ी जाती है अपनी ही धुन में
करती हुई नर्तन अपने ही मन में
डूबती उतराती जीवन की नाव
कागज के जैसी वो जीवन की नाव
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