दुःख आया हमें देख ठिठका
चला गया उलटे पांव
हमें मंजिल तक पहुँचाने
सुख के झूले झुलाने
वो छलता नहीं किसी को
सब समझ का धोखा है
दो छोर हैं जिन्दगी के
दुःख सुख तो उनका लेखा जोखा है
चला गया उलटे पांव
हमें मंजिल तक पहुँचाने
सुख के झूले झुलाने
वो छलता नहीं किसी को
सब समझ का धोखा है
दो छोर हैं जिन्दगी के
दुःख सुख तो उनका लेखा जोखा है
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