माँ का मतलब है
वृक्ष पर छाल की तरह चिपकी हुई
अपनों से दूर होने की त्रासदी झेलने वाली
टुकड़े टुकड़े होकर भी रक्षा करने को आतुर
उसका अपना कोई नहीं
दर्द से निकली चीख को नाटक समझा जाये
रहे न रहे कोई फर्क नहीं
मेरे जन्म के दिन मेरी माँ मर गई
मुझे बचाकर खुद कुर्बान हो गई
मुझे आँख भर कर देख भी न सकी
आँचल में छुपा न सकी
प्यार से दुलरा न सकी
नज़र का ढिठोना लगा न सकी
मिट्टी खाने पर डांट न सकी
उंगली थाम घुमा न सकी
शायद इसीलिए
मुझे अपने आस पास नज़र आती है
हर जगह हर कदम मेरे साथ रहती है
आत्मविश्वास, संघर्षशीलता, स्वाभिमान और बलिदान
जो मुझे विरासत में दिए
उसे थाम मैं सफलता की सीढ़ी चढ़ी जा रही हूँ
अपनी माँ की तरह निःस्वार्थ धरती माँ की सेवा करती जा रही हूँ
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