Sunday, 25 September 2011

माँ

माँ का मतलब है 
वृक्ष पर छाल की तरह चिपकी हुई
अपनों से दूर होने की त्रासदी झेलने वाली 
टुकड़े टुकड़े होकर भी रक्षा करने को आतुर
उसका अपना कोई नहीं
दर्द से निकली चीख को नाटक समझा जाये
रहे न रहे कोई फर्क नहीं
मेरे जन्म के दिन मेरी माँ मर गई
मुझे बचाकर खुद कुर्बान हो गई 
मुझे आँख भर कर देख भी न सकी
आँचल में छुपा न सकी
प्यार से दुलरा न सकी
नज़र का ढिठोना लगा न सकी
मिट्टी खाने पर डांट न सकी
उंगली थाम घुमा न सकी 
शायद इसीलिए
मुझे अपने आस पास नज़र आती है
हर जगह हर कदम मेरे साथ रहती है
आत्मविश्वास, संघर्षशीलता, स्वाभिमान और बलिदान 
जो मुझे विरासत में दिए
उसे थाम मैं सफलता की सीढ़ी चढ़ी जा रही हूँ
अपनी माँ की तरह निःस्वार्थ धरती माँ की सेवा करती जा रही हूँ


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