Sunday, 25 September 2011

चेतना

मैं चेतना हूँ
मैं कौन
आत्मा की आवाज़
जो अब तक जीवित है
नाज़ुक कली हूँ
सुन्दर सलोनी सी
सागर में लहर हूँ 
सीपी में मोती सी
मैं चेतना हूँ
अगणित पहेली हूँ
बिलकुल अकेली सी
निर्बल का सम्बल हूँ
भीड़ में खोई सी 
मैं चेतना हूँ
हँसता हुआ बचपन हूँ
ओस की शबनम सी
खुशियाँ लुटाती हूँ 
जादू की झप्पी सी
मैं चेतना हूँ

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