Thursday, 29 September 2011

सत्य

कल की आकांक्षा 
कल की सुरक्षा 
इंतजाम व्यवस्था 
कभी पूरी न होगी 
हम पूरे हो जाएंगे
हिसाब लगा रहे हैं 
माँ बाप, बच्चों का
पति या पत्नी का 
परिवार समाज का 
देश विदेश का 
छोड़ो फ़िक्र 
यह जीवन बहुमूल्य है
ऐसे मत गंवा दो 
रूपांतरित करो
गुणवत्ता दो 
भगवत्ता दो
असीम की खोज में 
सीमाएं छोड़ दो
हम नदी की धार हैं
बंधे तालाब नहीं 
घर हमसे है
हम घर से नहीं
भोग छोड़ना है
छोड़ सकते हैं
पकड़ा हमने है
तो छोड़ भी हम ही सकते हैं 
पकड़ने से कुछ न पाया
तो छोड़ने से न गवायेंगे 
सुख दुःख तो हमारी 
दृष्टि में ही समाया है
महावाक्य है
प्रबुद्ध बनो
ज्ञान प्राप्ति का रास्ता खोजो
संचेतना का पाठ पढो 
जीवन क्षणभंगुर है 
इसलिए उठो जागो चल पड़ो
तन से नहीं मन से
अभी इसी वक्त 
क्योंकि कल कभी नहीं आता 
जन्मते करोड़ों हैं 
जीता कोई एकाध 
जीवन का सार यही 
शास्वत सत्य है


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