आंसू पलकों पर मचलते रहे
संशय के बादल उसे पीते रहे
विडम्बनाओं के दौर अनवरत चलते रहे
हम प्रदर्शनी बने अंतर्द्वंद से साक्षात्कार करते रहे
हम पढ़े गए ... ..जैसे हों पत्रिका
हम जांचे गए . जैसे परीक्षा की पुस्तिका
हम परखे गए .जैसे कोई गहना
हम तपाये गए .....जैसे कसौटी पर सोना
हम सुने गए ........जैसे बेसुरी तान
हम सहे गए ........जैसे युद्ध का ऐलान
हम भोगे गए ......जैसे अमर बेल
हम देखे गए .......जैसे नौटंकी का खेल
हमउड़ाए गए ...जैसे बड़ी सी मक्खी
हम रुलाये गए ...जैसे पिंजरे में पक्षी
हम कोसे गए .....जैसे पाप की गठरी
हम अपनाये गए .जैसे बंजर प्रथ्वी
संशय के बादल उसे पीते रहे
विडम्बनाओं के दौर अनवरत चलते रहे
हम प्रदर्शनी बने अंतर्द्वंद से साक्षात्कार करते रहे
हम पढ़े गए ... ..जैसे हों पत्रिका
हम जांचे गए . जैसे परीक्षा की पुस्तिका
हम परखे गए .जैसे कोई गहना
हम तपाये गए .....जैसे कसौटी पर सोना
हम सुने गए ........जैसे बेसुरी तान
हम सहे गए ........जैसे युद्ध का ऐलान
हम भोगे गए ......जैसे अमर बेल
हम देखे गए .......जैसे नौटंकी का खेल
हमउड़ाए गए ...जैसे बड़ी सी मक्खी
हम रुलाये गए ...जैसे पिंजरे में पक्षी
हम कोसे गए .....जैसे पाप की गठरी
हम अपनाये गए .जैसे बंजर प्रथ्वी
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