सांवली सी औरत
गोद में बच्चा
बड़ी सी गठरी
विचारों में खोई
कहाँ खुद जमे कहाँ गठरी
तभी चल दी रेलगाड़ी
दौड़ते खेत, मकान
नदी, धूप, सडकें इन्सान
अचानक हुई हलचल
आ गया गन्तव्य स्थल
लगा धरती डोल गई
भूचाल आ गया
यह उसका चेहरा दिखा गया
सहसा उसे एक विचार कौधा
नहीं जाना दुबारा नर्क में
रेलगाड़ी चल दी और वह भी
नै चुनौतियों के साथ जीवन जीने
बिना टिकट थी पर शिकन नहीं
जहाँ तक रेल जायगी वह भी जायगी
ऐसा अभी अभी उसने सोचा
शांत चित प्रसन्न मुख से
बच्चे को आगोश में लिया
खुद सिकुड़ी सिमटी गठरी बन गई |
गोद में बच्चा
बड़ी सी गठरी
विचारों में खोई
कहाँ खुद जमे कहाँ गठरी
तभी चल दी रेलगाड़ी
दौड़ते खेत, मकान
नदी, धूप, सडकें इन्सान
अचानक हुई हलचल
आ गया गन्तव्य स्थल
लगा धरती डोल गई
भूचाल आ गया
यह उसका चेहरा दिखा गया
सहसा उसे एक विचार कौधा
नहीं जाना दुबारा नर्क में
रेलगाड़ी चल दी और वह भी
नै चुनौतियों के साथ जीवन जीने
बिना टिकट थी पर शिकन नहीं
जहाँ तक रेल जायगी वह भी जायगी
ऐसा अभी अभी उसने सोचा
शांत चित प्रसन्न मुख से
बच्चे को आगोश में लिया
खुद सिकुड़ी सिमटी गठरी बन गई |
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