कहते हैं दुनिया सुन्दर है माता है सृष्टि स्वरूप बनी
इस रंग बदलती दुनिया में माँ का एक रूप है ऐसा भी
लालच के पर्दे ने देखो माँ से ममता ही छीन लिया
अवांछित बनकर जन्मी थी माँ ने ही मुझको फेंक दिया
जिंदा मुझको कुत्ते नोचें दुर्भाग्य मेरा अब शुरू हुआ
कितने ही चींटे लिपट गये हैं छेद किये देते मुझमें
फुटपाथों पर हूँ पड़ी हुई किस्मत से मत खा गई मैं
इतना मजबूत जिगर देखो मैं फिर भी बच ही जाती हूँ
दिल में पीड़ा के भाव छिपा ऊपर से मैं मुस्काती हूँ
जिसको माँ ने ही त्याग दिया, ईश्वर उसको क्या अपनाता
मरना तो यहाँ हुआ असं पर मरना कितना मुश्किल लगता
माँ ने अनाथ है बना दिया जीने का संबल ढूंढ रही
नश्तर है चुभाये अपनों ने बेगानों से शिकायत न रही|
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