समाज सुधारक बने
गलती निकालने का कोई मौका न गंवाते
शिकायत करना तो खून में रच बस गया
प्रतिक्रिया देना अहम का हिस्सा बन गया
अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की आदत जो हो गयी
इसीलिए कोई अच्छा दिखता ही नहीं
नहीं जानते तलाश किसकी है
इन्सान कोई मशीन तो नहीं है
जो कलपुर्जों की तरह बदल दो
समझदारी पर संदेह करते
जहाँ पहुंचना था वहां न पहुँचते
बुद्ध महावीर बन पहले खुद में झांको
उबड़ खाबड़ रास्ते घाटियों पहाड़ियों के पार
अस्तित्व की झलक है फिर सारा संसार सुनहरा दिखेगा |
गलती निकालने का कोई मौका न गंवाते
शिकायत करना तो खून में रच बस गया
प्रतिक्रिया देना अहम का हिस्सा बन गया
अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की आदत जो हो गयी
इसीलिए कोई अच्छा दिखता ही नहीं
नहीं जानते तलाश किसकी है
इन्सान कोई मशीन तो नहीं है
जो कलपुर्जों की तरह बदल दो
समझदारी पर संदेह करते
जहाँ पहुंचना था वहां न पहुँचते
बुद्ध महावीर बन पहले खुद में झांको
उबड़ खाबड़ रास्ते घाटियों पहाड़ियों के पार
अस्तित्व की झलक है फिर सारा संसार सुनहरा दिखेगा |
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