Tuesday, 27 December 2011

प्रकाश

अचानक चाँद ढक गया
वायु बड़े वेग से बहने लगी
बादलों के दल भाग दौड़ करने लगे
अन्धकार पुंजीभूत हो उठा
बिजली आकाश को चीरने लगी
सम्पूर्ण प्रथ्वी कांप उठी
संसार भयक्रांत हो गया
तभी चेतनाओं ने करवट बदली
शब्द अमरत्व की राह पर चल पड़े
जन्म सार्थक हुआ हम समझ गए
ईश्वर की लीला भी अपरम्पार है
कथाओं में आवागमन की महिमा का सार है
सेज नहीं सुख की जीवन संग्राम है
दुःख का अंतर्मन से ही सरोकार है
सिसकती मानवता में संभावनाओं का सागर है
प्रफुल्लित मन में अब सिर्फ प्रकाश की गागर है .

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