नख शिख सौंदर्य से अलंकृत कल्पना
आँगन में पद चिन्हों से बनी अल्पना
महावर लगे पैरों में पाजेब की झंकार
सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर जादू चलाने को तैयार
रात देती है संबल और करती है कर्तव्य
हर युग मैं आई हूँ जीतने तुम्हारा पुरुषत्व
सप्तपदी के वचनों को बखूबी निभाती हूँ
ह्रदय जीत कर ही धर्मपत्नी कहलाती हूँ .
आँगन में पद चिन्हों से बनी अल्पना
महावर लगे पैरों में पाजेब की झंकार
सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर जादू चलाने को तैयार
रात देती है संबल और करती है कर्तव्य
हर युग मैं आई हूँ जीतने तुम्हारा पुरुषत्व
सप्तपदी के वचनों को बखूबी निभाती हूँ
ह्रदय जीत कर ही धर्मपत्नी कहलाती हूँ .
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