Sunday, 18 December 2011

एक पल का वक्त

म्रत्यु कहें या काल
स्वागत है तुम्हारा
अधिक इंतजार अच्छा नहीं
अब तो आ जाओ
सूत्रधार हो परमात्मा के
अधीर हूँ मिलनेमिलने को
तन और मन दोनों से
जिस राह पर ले चलो
उंगली थाम चलना है
जबरन न ले जाना
वचन देती हूँ
स्वयं चलूंगी
बस एक प्रार्थना है
वक्त देना थोडा सा
उनसे मिलने का
थामा था दामन जिनका
उन्हें निहारने का
बिदाई लेने का
सांसारिक लिप्सा से मुक्ति का
सिर्फ एक पल का वक्त .

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