जीवन संग्राम में लड़ते लड़ते
चुनौतियों को सहते सहते
संसार रूपी कुरुछेत्र में
थक गया हूँ
हर गया हूँ
टूट गया हूँ
छत विछत हूँ
लहू लुहान हूँ
तन और मन दोनों से
ढूंढ़ रहा हूँ आपको
कहाँ हो तारणहार
गीता के कृष्ण
मुझे ज्ञान दो
शक्ति दो
मुक्ति दो .
चुनौतियों को सहते सहते
संसार रूपी कुरुछेत्र में
थक गया हूँ
हर गया हूँ
टूट गया हूँ
छत विछत हूँ
लहू लुहान हूँ
तन और मन दोनों से
ढूंढ़ रहा हूँ आपको
कहाँ हो तारणहार
गीता के कृष्ण
मुझे ज्ञान दो
शक्ति दो
मुक्ति दो .
No comments:
Post a Comment